वैदिक नक्षत्रों ज्योतिष में, नक्षत्रों का विशेष महत्व है, जिन्हें देवताओं के घर माना गया है। प्रत्येक नक्षत्र का एक अलग देवी-देवता से संबंध होता है जो उसकी विशेषताओं और गुणों को प्रदर्शित करता है।
Table of Contents
1. कृत्तिका (Krittika) – उत्प्रेरक
- देवता: अग्नि (अग्निदेव)
- प्रतीक: आग, ऊर्जा पश्चिमी नाम: Pleiades
- अर्थ: कृत्तिका को वैदिक ज्योतिष में ‘उत्प्रेरक’ कहा गया है। अग्नि के माध्यम से ऊर्जा का संचार, किसी भी कार्य का प्रारंभ करने की शक्ति का प्रतीक है। इसे एक तीव्र और कटु नक्षत्र माना जाता है जो उत्साह और प्रेरणा की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में फलीभूत होता है।
2. रोहिणी (Rohini) – जागृत करने वाली
- देवता: प्रजापति ब्रह्मा
- प्रतीक: लाल रंग, उर्वरता पश्चिमी नाम: Aldebaran
- अर्थ: रोहिणी नक्षत्र प्रजनन और सृजन की क्षमता का प्रतीक है। यह जल और उर्वरता से जुड़ा हुआ है, जिससे नए जीवन और समृद्धि का विकास होता है। प्रेम और सौंदर्य में गहरी रुचि रखने वालों के लिए यह नक्षत्र विशेष माना जाता है।
3. मृगशिरा (Mrigashira) – कोमल हिरणी
- देवता: सोम (चंद्र)
- प्रतीक: हिरणी का सिर, कोमलता पश्चिमी नाम: Orion’s Belt
- अर्थ: यह नक्षत्र कोमलता और शांत प्रवृत्ति का प्रतीक है। मृगशिरा नक्षत्र में शांति और सौहार्द्र का विशेष महत्व होता है, जिससे यह साझेदारी और कूटनीति के लिए उपयुक्त है।
4. आर्द्रा (Ardra) – संहारक की भुजाएं
- देवता: रुद्र (भगवान शिव)
- प्रतीक: आंसू, तूफान पश्चिमी नाम: Betelgeuse
- अर्थ: आर्द्रा नक्षत्र को विनाश और परिवर्तनों के लिए जाना जाता है। इसमें असत्य और अन्याय के विरुद्ध क्रोध और शक्ति का प्रतीक है। रुद्र की भुजाएं अन्याय का नाश करती हैं और कमजोरों की रक्षा करती हैं।
5. पुनर्वसु (Punarvasu) – पुनर्जीवन
- देवता: अदिति (अविभाज्यता की देवी)
- प्रतीक: पुनरावृत्ति, नवीकरण पश्चिमी नाम: Castor and Pollux
- अर्थ: पुनर्वसु का संबंध सृजनात्मक पुनः आरंभ से है। यह पुराने को छोड़कर नए की खोज का प्रतीक है। यह नक्षत्र हमें लगातार आत्मसुधार और नवीनता की ओर प्रेरित करता है।
6. पुष्य (Pushya) – पुष्पित भाग्य
- देवता: बृहस्पति (गुरु)
- प्रतीक: पुष्प, माता का दूध पश्चिमी नाम: North and South Asellus
- अर्थ: पुष्य नक्षत्र पोषण और ज्ञान का प्रतीक है। यह नक्षत्र विशेष रूप से सलाहकारों और मार्गदर्शकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसमें वृद्धि और समृद्धि के लिए ज्ञान के महत्व को दर्शाया गया है।
7. आश्लेषा (Ashlesha) – लिपटी हुई सर्पिणी
- देवता: नाग (सर्प)
- प्रतीक: सर्प का लिपटना, रहस्य पश्चिमी नाम: Hydra
- अर्थ: आश्लेषा नक्षत्र का संबंध गहरे रहस्यों और गूढ़ साधनों से है। यह नक्षत्र मोहक शक्ति और आकर्षण का प्रतीक है। इसमें रहस्यमय ऊर्जा और अंतरंगता की झलक है, जो तंत्रिक क्रियाओं को बढ़ावा देती है।
8. मघा (Magha) – पूर्वजों की शक्ति
- देवता: पितर
- प्रतीक: सिंहासन, शक्ति का हस्तांतरण पश्चिमी नाम: Regulus
- अर्थ: मघा नक्षत्र में विरासत में मिली शक्ति और अधिकार का महत्व है। यह नक्षत्र पूर्वजों के सम्मान और उनके द्वारा दी गई शक्ति का प्रतीक है। यह स्थायित्व और अनुशासन को प्रोत्साहित करता है।
9. पूर्वफल्गुनी (Purva Phalguni) – फलप्राप्ति की ओर अग्रसर
- देवता: भग (समृद्धि के देवता)
- प्रतीक: पलंग, आराम पश्चिमी नाम: Delta Leonis
- अर्थ: यह नक्षत्र आराम और समृद्धि का प्रतीक है। इसमें विश्राम और आनंद का महत्व होता है, जो हमें जीवन की भौतिकता और सुखों के प्रति जागरूक करता है।
10. उत्तरफल्गुनी (Uttara Phalguni) – फलप्राप्ति
- देवता: आर्यमन (मित्रता का देवता)
- प्रतीक: विवाह, मित्रता पश्चिमी नाम: Denebola
- अर्थ: उत्तरा फाल्गुनी का महत्व मित्रता और सहयोग में निहित है। यह नक्षत्र साझेदारी और अनुबंधों के लिए शुभ माना जाता है। इसमें विश्वास और संबंधों की गहराई को दर्शाया गया है।
11. हस्त (Hasta) – प्रेरित हाथ
- देवता: सवितृ (सूर्य का रूप)
- प्रतीक: हाथ, कौशल पश्चिमी नाम: Corvus
- अर्थ: हस्त नक्षत्र कार्यकुशलता और सृजनशीलता का प्रतीक है। इसमें सूर्य देव के प्रकाश और शक्ति के माध्यम से सृजन का भाव है। यह नक्षत्र कला, शिल्प और निर्माण के लिए विशेष माना जाता है।
12. चित्रा (Chitra) – सच्चा सौंदर्य
- देवता: त्वष्टा (शिल्पकार)
- प्रतीक: मोती, सौंदर्य पश्चिमी नाम: Spica
- अर्थ: चित्रा नक्षत्र में सौंदर्य और शिल्प का मिश्रण है। यह नक्षत्र सृजन और सौंदर्य के प्रति हमारे आकर्षण को प्रकट करता है। इसे कला, डिजाइन और रचनात्मकता के लिए अनुकूल माना जाता है।
13. स्वाति (Swati) – स्वतंत्रता
- देवता: वायु
- प्रतीक: एकल तारा, स्वतंत्रता पश्चिमी नाम: Arcturus
- अर्थ: स्वाति नक्षत्र स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाता है। यह हमें आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की भावना प्रदान करता है।
14. विशाखा (Vishakha) – युगल
- देवता: इन्द्र-अग्नि
- प्रतीक: कांटा, द्वैधता पश्चिमी नाम: Libra’s Zubenelgenubi
- अर्थ: विशाखा नक्षत्र में उद्देश्य की ओर गतिशीलता होती है। यह नक्षत्र दो अलग-अलग दिशाओं में आकर्षण को प्रकट करता है।
15. अनुराधा (Anuradha) – प्रेम का प्रतिफल
- देवता: मित्र
- प्रतीक: कमल पश्चिमी नाम: Alpha Scorpii
- अर्थ: अनुराधा का संबंध प्रेम और मित्रता से है। इसमें साझेदारी और समर्थन का महत्व है। यह नक्षत्र जीवन में सहयोग की आवश्यकता को दर्शाता है।
16. ज्येष्ठा (Jyeshtha) – शक्ति का धारक
- देवता: इन्द्र
- प्रतीक: छड़ी, वरिष्ठता पश्चिमी नाम: Antares
- अर्थ: ज्येष्ठा नक्षत्र में शक्ति और नेतृत्व का भाव है। यह नक्षत्र सामाजिक स्थिति और शक्ति के प्रति हमारी जागरूकता को प्रकट करता है।
17. मूल (Moola) – झूठों का संहारक
- देवता: निरृति (विनाश की देवी)
- प्रतीक: जड़ें, विनाश पश्चिमी नाम: Lambda Scorpii
- अर्थ: मूल नक्षत्र में गहरे सत्य और सत्य की खोज का महत्व होता है। यह नक्षत्र झूठ और भ्रम का नाश करता है।
18. पूर्वाषाढ़ा (Purva Ashadha) – प्रारंभिक विजय
- देवता: अपः (जल देवता)
- प्रतीक: हाथी का दांत पश्चिमी नाम: Sagittarius Constellation
- अर्थ: यह नक्षत्र संघर्ष की शुरुआत और विजय का प्रतीक है। इसमें दृढ़ता और सफलता की इच्छा प्रकट होती है।
19. उत्तराषाढ़ा (Uttara Ashadha) – सर्वोच्च विजय
- देवता: विश्वेदेव (सभी देवताओं का समूह)
- प्रतीक: विजयी ध्वज पश्चिमी नाम: Sagittarius-Capricornus
- अर्थ: यह नक्षत्र सर्वोच्च सफलता का प्रतीक है।
20. श्रवण (Shravana) – पथ पर चलने वाला
- देवता: विष्णु
- प्रतीक: कान पश्चिमी नाम: Altair
- अर्थ: श्रवण नक्षत्र सुनने और समझने की कला का प्रतीक है।
21. धनिष्ठा (Dhanishta) – इच्छित वस्तुएं
- देवता: अष्ट वसु
- प्रतीक: ड्रम पश्चिमी नाम: Delphini
- अर्थ: धनिष्ठा में ध्वनि और लय का महत्व होता है।
22. शतभिषा (Shatabhisha) – सौ संधियाँ
- देवता: वरुण
- प्रतीक: खाली घेरे पश्चिमी नाम: Lambda Aquarii
- अर्थ: शतभिषा नक्षत्र में चिकित्सा और उपचार का गुण होता है।
23. पूर्वभाद्रपद (Purva Bhadrapada) – बलिदान वेदी के सामने
- देवता: अज एकपाद
- प्रतीक: तलवार पश्चिमी नाम: Pegasus and Pisces
- अर्थ: यह नक्षत्र त्याग और बलिदान का प्रतीक है।
24. उत्तरभाद्रपद (Uttara Bhadrapada) – बलिदान वेदी के ऊपर
- देवता: अहिभुड़न्य
- प्रतीक: दो तलवारें पश्चिमी नाम: Pegasus and Pisces
- अर्थ: त्याग की ओर प्रेरणा देने वाला।
25. रेवती (Revati) – पोषित पोषणकर्ता
- देवता: पूषन
- प्रतीक: मछली पश्चिमी नाम: Zeta Piscium
- अर्थ: यह नक्षत्र अंतिम स्थिति में पोषण का प्रतीक है।
26. अश्विनी (Ashwini) – घोड़े के जुड़वां
- देवता: अश्विनीकुमार
- प्रतीक: घोड़ा पश्चिमी नाम: Beta Arietis
- अर्थ: इसमें आरोग्य और चिकित्सा का प्रतीक है।
27. भरणी (Bharani) – नियामक
- देवता: यमराज
- प्रतीक: योनि पश्चिमी नाम: 41 Arietis
- अर्थ: यह नक्षत्र कर्म और नियमन का प्रतीक है।
नक्षत्रों की यह व्यापकता हमारे जीवन में अनगिनत संभावनाओं का द्वार खोलती है। हर नक्षत्र में निहित गुण, प्रतीक, और संदेश हमें हमारे जीवन के मार्ग में प्रेरणा देने और आत्म-सुधार के अवसर प्रदान करते हैं। नक्षत्रों के माध्यम से हम अपने व्यक्तित्व और प्रवृत्तियों का गहन विश्लेषण कर सकते हैं और यह जान सकते हैं कि हमारे कौन से गुण और कौन से दोष हमें हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक या बाधक हैं।
हर नक्षत्र में कुल 13°20′ (डिग्री) का विस्तार होता है, और इन 27 नक्षत्रों का कुल मिलाकर 360° का चक्र बनता है। यह 360° का चक्र 12 राशियों में विभाजित होता है, जिनमें प्रत्येक राशि 30° के विस्तार में फैली होती है। प्रत्येक नक्षत्र तीन भागों (पादों) में विभाजित होता है, और प्रत्येक पाद 3°20′ के विस्तार का होता है।
यहाँ सभी 27 नक्षत्रों की राशियों के अनुसार डिग्री विस्तार का विवरण दिया गया है:
मेष राशि (0° – 30°)
- अश्विनी – 0° – 13°20′
- भरणी – 13°20′ – 26°40′
- कृत्तिका – 26°40′ – 30° (मेष का अंत)
वृषभ राशि (30° – 60°)
- कृत्तिका – 0° – 10° (वृषभ का प्रारंभ)
- रोहिणी – 10° – 23°20′
- मृगशिरा – 23°20′ – 30° (वृषभ का अंत)
मिथुन राशि (60° – 90°)
- मृगशिरा – 0° – 6°40′ (मिथुन का प्रारंभ)
- आर्द्रा – 6°40′ – 20°
- पुनर्वसु – 20° – 30° (मिथुन का अंत)
कर्क राशि (90° – 120°)
- पुनर्वसु – 0° – 3°20′ (कर्क का प्रारंभ)
- पुष्य – 3°20′ – 16°40′
- आश्लेषा – 16°40′ – 30° (कर्क का अंत)
सिंह राशि (120° – 150°)
- मघा – 0° – 13°20′
- पूर्वा फाल्गुनी – 13°20′ – 26°40′
- उत्तरा फाल्गुनी – 26°40′ – 30° (सिंह का अंत)
कन्या राशि (150° – 180°)
- उत्तरा फाल्गुनी – 0° – 10° (कन्या का प्रारंभ)
- हस्त – 10° – 23°20′
- चित्रा – 23°20′ – 30° (कन्या का अंत)
तुला राशि (180° – 210°)
- चित्रा – 0° – 6°40′ (तुला का प्रारंभ)
- स्वाति – 6°40′ – 20°
- विशाखा – 20° – 30° (तुला का अंत)
वृश्चिक राशि (210° – 240°)
- विशाखा – 0° – 3°20′ (वृश्चिक का प्रारंभ)
- अनुराधा – 3°20′ – 16°40′
- ज्येष्ठा – 16°40′ – 30° (वृश्चिक का अंत)
धनु राशि (240° – 270°)
- मूल – 0° – 13°20′
- पूर्वाषाढ़ा – 13°20′ – 26°40′
- उत्तराषाढ़ा – 26°40′ – 30° (धनु का अंत)
मकर राशि (270° – 300°)
- उत्तराषाढ़ा – 0° – 10° (मकर का प्रारंभ)
- श्रवण – 10° – 23°20′
- धनिष्ठा – 23°20′ – 30° (मकर का अंत)
कुंभ राशि (300° – 330°)
- धनिष्ठा – 0° – 6°40′ (कुंभ का प्रारंभ)
- शतभिषा – 6°40′ – 20°
- पूर्वभाद्रपद – 20° – 30° (कुंभ का अंत)
मीन राशि (330° – 360°)
- पूर्वभाद्रपद – 0° – 3°20′ (मीन का प्रारंभ)
- उत्तरभाद्रपद – 3°20′ – 16°40′
- रेवती – 16°40′ – 30° (मीन का अंत)
इस प्रकार नक्षत्रों का विशेष महत्व, प्रत्येक नक्षत्र एक विशेष राशि में 13°20′ के विस्तार में फैला होता है और यह राशि के अंतर्गत आता है। नक्षत्र के इस विभाजन के माध्यम से व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को समझा जाता है, जो उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष
वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व एक अनमोल धरोहर है। यह केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, और हमारे आत्मिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें आत्म-विश्लेषण, आत्म-सुधार, और अंततः आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
हर नक्षत्र अपने आप में एक दुनिया है, जो हमारे जीवन को आकार देने में मदद करता है। चाहे आप इसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें या मनोवैज्ञानिक, हर नक्षत्र हमें कुछ न कुछ सिखाता है। यह न केवल हमारी वर्तमान चुनौतियों का सामना करने में हमारी मदद करता है, बल्कि यह हमें आत्म-विश्लेषण और आत्म-विकास का मार्ग भी दिखाता है।
अतः, नक्षत्रों का विशेष महत्व है वैदिक ज्योतिष के इस गहन ज्ञान का सम्मान करें और इसे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के एक उपकरण के रूप में अपनाएं। इसके माध्यम से आप अपने व्यक्तित्व की गहराइयों में झाँक सकते हैं और अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।
Amazing superb very systematic explain information Thank you so much Sir 🙏🏻
My dob is 14 5 1988 5 40 am Banswara Rajasthan kya aap bata sakte hai