भवन-निर्माण-या-संपत्ति-खरीदने-का-योग

के.पी. ज्योतिष (कृष्णमूर्ति पद्धति) में भवन निर्माण या संपत्ति खरीद के लिए चौथे, ग्यारहवें और बारहवें भाव का महत्व

 भवन निर्माण या संपत्ति खरीदने का योग

के.पी. ज्योतिष में भवन निर्माण या संपत्ति की खरीदारी के समय चौथे, ग्यारहवें और बारहवें भाव को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हर भाव का विशिष्ट उद्देश्य और प्रभाव होता है। विशेषकर जब किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की स्थायी संपत्ति का स्वप्न होता है या भवन निर्माण में निवेश करना होता है, तो के.पी. ज्योतिष के अनुसार इन भावों की गहनता से जांच की जाती है।

1. चौथा भाव (स्थिर संपत्ति और भवन का मुख्य भाव)

चौथा भाव के.पी. ज्योतिष में मुख्य रूप से व्यक्ति की स्थायी संपत्ति, घर, जमीन-जायदाद और पारिवारिक सुख से जुड़ा होता है। इस भाव के माध्यम से भवन निर्माण, जमीन खरीद या स्थिर संपत्ति में रुचि का पता लगाया जा सकता है। चौथा भाव केवल जमीन-जायदाद का ही नहीं, बल्कि उस संपत्ति से जुड़े आत्मिक सुख और स्थिरता का प्रतीक भी होता है। व्यक्ति के मन में भवन निर्माण का विचार सबसे पहले इसी भाव से प्रेरित होता है।

  • चौथे भाव के कारक: चौथे भाव का कारक ग्रह चंद्रमा होता है, जो घर, मानसिक सुख और भावनात्मक संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त, के.पी. ज्योतिष में चौथे भाव के स्वामी ग्रह और चंद्रमा की स्थिति यह दर्शाती है कि व्यक्ति भवन खरीदने के लिए मानसिक और आर्थिक रूप से कितना सक्षम है।
  • भाव का महत्व: जब कोई व्यक्ति भवन निर्माण की योजना बनाता है या कोई स्थायी संपत्ति खरीदना चाहता है, तो ज्योतिषी सबसे पहले चौथे भाव की स्थिति का विश्लेषण करता है। यह भाव यह दर्शाता है कि व्यक्ति के पास भूमि खरीदने या भवन निर्माण में रुचि है या नहीं और किस हद तक यह कार्य सफल हो सकता है। यदि चौथा भाव और उसका स्वामी शुभ ग्रहों से दृष्ट होते हैं और कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता, तो व्यक्ति को जमीन-जायदाद से संबंधित कार्यों में सफलता मिलने की संभावना होती है।
  • चौथे भाव के स्वामी का महत्व: चौथे भाव का स्वामी ग्रह यदि शुभ ग्रहों के साथ हो या उसकी स्थिति अच्छी हो, तो यह भवन निर्माण के योग को मजबूत बनाता है। यदि यह ग्रह निर्बल हो या शत्रु ग्रहों के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति को भवन निर्माण में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।

2. ग्यारहवां भाव (लाभ और संपत्ति प्राप्ति का भाव)

ग्यारहवां भाव ज्योतिष में लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, समृद्धि और वित्तीय सफलता का प्रतीक है। भवन निर्माण या जमीन-जायदाद की खरीद में ग्यारहवां भाव व्यक्ति के जीवन में संपत्ति से प्राप्त लाभ की संभावना को दर्शाता है।

  • लाभ का प्रतीक: भवन निर्माण या जमीन खरीदारी में ग्यारहवां भाव यह दर्शाता है कि इस निवेश से व्यक्ति को क्या लाभ प्राप्त हो सकता है। ग्यारहवां भाव यह दर्शाता है कि किसी संपत्ति के खरीदने के बाद उस संपत्ति से व्यक्ति को किस प्रकार का आर्थिक लाभ हो सकता है। यह लाभ वित्तीय रूप में हो सकता है, जैसे उस संपत्ति का मूल्य बढ़ना, या भावनात्मक लाभ, जैसे आत्मिक संतोष और मानसिक शांति।
  • ग्यारहवें भाव के कारक ग्रह: इस भाव का कारक ग्रह बृहस्पति है, जो धन, समृद्धि, लाभ और ज्ञान का प्रतीक है। यदि ग्यारहवां भाव और इसका स्वामी शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो यह भवन निर्माण और संपत्ति निवेश में आर्थिक लाभ की संभावना को दर्शाता है।
  • इच्छाओं की पूर्ति: ग्यारहवां भाव व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति का भी प्रतीक है। यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में ग्यारहवां भाव मजबूत होता है, तो उसकी संपत्ति संबंधी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं और वह सफलता प्राप्त कर सकता है।
  • ग्यारहवें भाव का स्वामी: ग्यारहवें भाव का स्वामी यदि मजबूत और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो यह व्यक्ति की संपत्ति निवेश से धन की प्राप्ति और लाभ की संभावना को दर्शाता है। यदि यह ग्रह निर्बल हो या अशुभ प्रभाव में हो, तो निवेश से अपेक्षित लाभ प्राप्त होने में कठिनाई हो सकती है।

3. बारहवां भाव (व्यय और भुगतान का भाव)

बारहवां भाव के.पी. ज्योतिष में व्यय, खर्च, हानि, और निवेश का प्रतीक माना गया है। भवन निर्माण और संपत्ति खरीदारी में यह भाव दर्शाता है कि व्यक्ति को इस निवेश में कितनी राशि खर्च करनी पड़ेगी, भुगतान की स्थिति कैसी रहेगी और संपत्ति में किए गए खर्च से किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

  • व्यय और निवेश का प्रतीक: बारहवां भाव व्यक्ति के खर्च, निवेश और भुगतान को दर्शाता है। भवन निर्माण या संपत्ति खरीद में बारहवां भाव यह बताता है कि व्यक्ति को कितनी राशि का भुगतान करना होगा और क्या वह इस भुगतान में सक्षम है या नहीं।
  • बारहवें भाव के कारक ग्रह: इस भाव का कारक ग्रह शनि होता है, जो संतुलित खर्च और दीर्घकालिक निवेश का प्रतीक है। शनि का प्रभाव व्यक्ति के निवेश को लंबी अवधि में लाभकारी बना सकता है, परंतु इसके साथ ही यह संयम और अनुशासन की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
  • भाव का प्रभाव: बारहवां भाव यह भी दर्शाता है कि भवन निर्माण या जमीन खरीद में खर्च होने वाली राशि से व्यक्ति को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि बारहवां भाव शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो, तो निवेश लाभकारी हो सकता है और व्यक्ति का भुगतान सुचारू रूप से हो सकता है।
  • बारहवें भाव का स्वामी: बारहवें भाव का स्वामी यदि शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या उसकी स्थिति मजबूत हो, तो यह व्यक्ति को संपत्ति निवेश से संतोष और खुशी की संभावना को बढ़ा सकता है। अशुभ ग्रहों का प्रभाव व्यर्थ खर्च और वित्तीय परेशानियों की संभावना को बढ़ा सकता है।

भवन निर्माण के लिए चौथे, ग्यारहवें और बारहवें भाव का परस्पर संबंध

चौथा, ग्यारहवां और बारहवां भाव भवन निर्माण, संपत्ति निवेश और उसकी खरीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन भावों के स्वामी ग्रहों का प्रभाव और परस्पर संबंध भवन निर्माण में सफलता, आर्थिक लाभ और खर्च को संतुलित करते हैं।

  1. चौथा भाव यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति के पास संपत्ति खरीदने की क्षमता है, भवन निर्माण की इच्छा है और वह मानसिक रूप से इस कार्य के लिए तैयार है।
  2. ग्यारहवां भाव यह दर्शाता है कि संपत्ति खरीदने या भवन निर्माण से उसे क्या लाभ होगा। यह भाव वित्तीय लाभ, इच्छाओं की पूर्ति और आर्थिक स्थिरता का संकेत देता है।
  3. बारहवां भाव इस बात को दर्शाता है कि व्यक्ति को कितनी राशि का भुगतान करना होगा, कितना खर्च आएगा, और इस संपत्ति में निवेश से उसकी आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

के.पी. ज्योतिष में चौथे, ग्यारहवें और बारहवें भाव की स्थिति और उनके स्वामी ग्रहों का शुभ होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति को संपत्ति निवेश से लाभ होगा और वह अपने सपनों का घर बना सकेगा।

WhatsApp Image 2024 11 10 at 13.32.59

Call 9770888888 For Guidance

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Hello