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सूर्य के लिए 27 नक्षत्रों का प्रभाव
1. अश्विनी (0°-13°20′ मेष):
- गुण: साहसी, तीव्र निर्णय लेने वाला, ऊर्जा से भरा हुआ।
- उदाहरण:
- सूर्य अश्विनी नक्षत्र में हो और मेष लग्न में हो तो व्यक्ति नेतृत्व के गुणों से संपन्न होगा।
- ऐसा व्यक्ति सेना, प्रशासन या खेल में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।
- स्वास्थ्य: मस्तिष्क और सिर से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
2. भरणी (13°20′-26°40′ मेष):
- गुण: दृढ़ निश्चयी, अधिकारप्रिय और अनुशासनप्रिय।
- उदाहरण:
- भरणी नक्षत्र में सूर्य हो तो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में कठोर और प्रभावशाली होगा।
- यह व्यक्ति कला और रचनात्मक कार्यों में सफल होता है।
- स्वास्थ्य: गले और कंठ से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
3. कृत्तिका (26°40′ मेष – 10° वृषभ):
- गुण: उच्च महत्वाकांक्षा, नेतृत्व क्षमता।
- उदाहरण:
- वृषभ लग्न में कृत्तिका नक्षत्र में सूर्य होने पर व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
- राजनीतिक करियर के लिए अनुकूल।
- स्वास्थ्य: बुखार और सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
4. रोहिणी (10°-23°20′ वृषभ):
- गुण: धन-प्राप्ति में रुचि, सुंदरता और कला का प्रेमी।
- उदाहरण:
- वृषभ लग्न में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में हो तो व्यक्ति संगीत या कला के क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: गले और थायरॉइड से संबंधित समस्याएँ।
5. मृगशिरा (23°20′ वृषभ – 6°40′ मिथुन):
- गुण: खोजी स्वभाव, ज्ञान प्राप्ति की लालसा।
- उदाहरण:
- मिथुन लग्न में सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति वैज्ञानिक या शोधकर्ता बन सकता है।
- स्वास्थ्य: नाक और गले की समस्याएँ हो सकती हैं।
6. आर्द्रा (6°40′-20° मिथुन):
- गुण: भावनात्मक स्थिरता, साहस और संघर्ष।
- उदाहरण:
- मिथुन लग्न में सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी खड़ा रहता है।
- स्वास्थ्य: तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएँ।
7. पुनर्वसु (20° मिथुन – 3°20′ कर्क):
- गुण: धर्म और आध्यात्म में रुचि।
- उदाहरण:
- कर्क लग्न में सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में हो तो व्यक्ति धर्मगुरु या शिक्षक बन सकता है।
- स्वास्थ्य: फेफड़े और छाती से जुड़ी समस्याएँ।
8. पुष्य (3°20′-16°40′ कर्क):
- गुण: उदारता, नेतृत्व क्षमता।
- उदाहरण:
- कर्क लग्न में सूर्य पुष्य नक्षत्र में हो तो व्यक्ति परोपकार और समाज सेवा के कार्य करता है।
- स्वास्थ्य: हृदय संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
9. आश्लेषा (16°40′-30° कर्क):
- गुण: चतुर, कूटनीतिज्ञ।
- उदाहरण:
- कर्क लग्न में सूर्य आश्लेषा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: पेट और आंत से जुड़ी समस्याएँ।
10. मघा (0°-13°20′ सिंह):
- गुण: शाही स्वभाव, पैतृक संपत्ति में लाभ।
- उदाहरण:
- सिंह लग्न में सूर्य मघा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति को सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है।
- स्वास्थ्य: रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएँ।
11. पूर्वा फाल्गुनी (13°20′-26°40′ सिंह):
- गुण: आनंदप्रिय, रचनात्मक।
- उदाहरण:
- सिंह लग्न में सूर्य पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में हो तो व्यक्ति कलाकार या अभिनेता बन सकता है।
- स्वास्थ्य: गले और गर्दन से जुड़ी समस्याएँ।
12. उत्तर फाल्गुनी (26°40′ सिंह – 10° कन्या):
- गुण: स्थायित्व और अनुशासनप्रिय।
- उदाहरण:
- कन्या लग्न में सूर्य उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में हो तो व्यक्ति शिक्षक या सलाहकार बन सकता है।
- स्वास्थ्य: पेट से संबंधित समस्याएँ।
13. हस्त (10°-23°20′ कन्या):
- गुण: रचनात्मकता, कला और शिल्प में निपुणता।
- उदाहरण:
- कन्या लग्न में सूर्य हस्त नक्षत्र में हो तो व्यक्ति लेखक या चित्रकार बन सकता है।
- स्वास्थ्य: तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएँ।
14. चित्रा (23°20′ कन्या – 6°40′ तुला):
- गुण: सुंदरता और वास्तुकला में रुचि।
- उदाहरण:
- तुला लग्न में सूर्य चित्रा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति वास्तुकार या डिजाइनर बन सकता है।
- स्वास्थ्य: त्वचा से संबंधित समस्याएँ।
15. स्वाति (6°40′-20° तुला):
- गुण: स्वतंत्रता और ज्ञान की खोज।
- उदाहरण:
- तुला लग्न में सूर्य स्वाति नक्षत्र में हो तो व्यक्ति शोधकर्ता बन सकता है।
- स्वास्थ्य: किडनी और मूत्राशय से जुड़ी समस्याएँ।
16. विशाखा (20° तुला – 3°20′ वृश्चिक):
- गुण: दृढ़ संकल्प, लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता।
- उदाहरण:
- वृश्चिक लग्न में सूर्य विशाखा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति वाणिज्य या कानून के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: पेट और प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
17. अनुराधा (3°20′-16°40′ वृश्चिक):
- गुण: मित्रवत स्वभाव, समाज सेवा में रुचि।
- उदाहरण:
- वृश्चिक लग्न में सूर्य अनुराधा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति सामाजिक कार्यकर्ता या नेता बन सकता है।
- स्वास्थ्य: पीठ और रक्त संचार से जुड़ी समस्याएँ।
18. ज्येष्ठा (16°40′-30° वृश्चिक):
- गुण: शक्ति, नेतृत्व और जिम्मेदारी लेने की प्रवृत्ति।
- उदाहरण:
- वृश्चिक लग्न में सूर्य ज्येष्ठा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति प्रशासनिक पद पर कार्य करता है।
- स्वास्थ्य: मानसिक तनाव और थकावट।
19. मूल (0°-13°20′ धनु):
- गुण: गहन सोच, सच्चाई की खोज।
- उदाहरण:
- धनु लग्न में सूर्य मूल नक्षत्र में हो तो व्यक्ति दर्शनशास्त्र या अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करता है।
- स्वास्थ्य: जांघ और पैरों से जुड़ी समस्याएँ।
20. पूर्वाषाढ़ा (13°20′-26°40′ धनु):
- गुण: आत्मविश्वास, सकारात्मकता और उदारता।
- उदाहरण:
- धनु लग्न में सूर्य पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति शिक्षा और परामर्श के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: त्वचा और मूत्राशय से संबंधित समस्याएँ।
21. उत्तराषाढ़ा (26°40′ धनु – 10° मकर):
- गुण: अनुशासन, दृढ़ निश्चय और नेतृत्व क्षमता।
- उदाहरण:
- मकर लग्न में सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति प्रशासन या सैन्य सेवाओं में उन्नति करता है।
- स्वास्थ्य: हड्डियों और जोड़ों की समस्याएँ।
22. श्रवण (10°-23°20′ मकर):
- गुण: परंपरा का पालन, शिक्षा में रुचि।
- उदाहरण:
- मकर लग्न में सूर्य श्रवण नक्षत्र में हो तो व्यक्ति शिक्षक या सलाहकार बन सकता है।
- स्वास्थ्य: घुटनों और टखनों से जुड़ी समस्याएँ।
23. धनिष्ठा (23°20′ मकर – 6°40′ कुंभ):
- गुण: संगीत, कला और संगठन कौशल।
- उदाहरण:
- कुंभ लग्न में सूर्य धनिष्ठा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति संगीतकार या आयोजक बन सकता है।
- स्वास्थ्य: रक्त प्रवाह और त्वचा से जुड़ी समस्याएँ।
24. शतभिषा (6°40′-20° कुंभ):
- गुण: वैज्ञानिक सोच, नवाचार और चिकित्सा में रुचि।
- उदाहरण:
- कुंभ लग्न में सूर्य शतभिषा नक्षत्र में हो तो व्यक्ति शोध और चिकित्सा क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: तंत्रिका तंत्र और रक्तचाप से संबंधित समस्याएँ।
25. पूर्वभाद्रपद (20° कुंभ – 3°20′ मीन):
- गुण: आदर्शवादी, आध्यात्मिक और दयालु।
- उदाहरण:
- मीन लग्न में सूर्य पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में हो तो व्यक्ति धर्म, सेवा और आध्यात्मिकता में रुचि रखता है।
- स्वास्थ्य: पैरों और हृदय से संबंधित समस्याएँ।
26. उत्तरभाद्रपद (3°20′-16°40′ मीन):
- गुण: गहराई से सोचने वाला, योजनाबद्ध।
- उदाहरण:
- मीन लग्न में सूर्य उत्तरभाद्रपद नक्षत्र में हो तो व्यक्ति अनुसंधान और परामर्श के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- स्वास्थ्य: शारीरिक थकावट और हड्डियों से जुड़ी समस्याएँ।
27. रेवती (16°40′-30° मीन):
- गुण: शांतिप्रिय, सौम्य और रचनात्मक।
- उदाहरण:
- मीन लग्न में सूर्य रेवती नक्षत्र में हो तो व्यक्ति कलाकार, लेखक या संगीतकार बन सकता है।
- स्वास्थ्य: पेट और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ।
प्रत्येक भाव और सूर्य की स्थिति के अनुसार विस्तृत रूप में दिए जा सकते हैं। यह विस्तृत विवरण प्रत्येक नक्षत्र में सूर्य के प्रभाव को स्पष्ट करता है।