कृष्णमूर्ति पद्धति (KP System) में व्यवसाय में सफलता का विश्लेषण
KP System for business success
कृष्णमूर्ति पद्धति (KP System) के अनुसार, व्यवसाय में सफलता के योग का निर्धारण 7वें भाव (व्यवसाय और साझेदारी), 10वें भाव (पेशा), 11वें भाव (लाभ), और इनका शुभ भावों से संबंध देखकर किया जाता है। यहाँ व्यवसाय में सफलता के लिए सूत्र और चरणबद्ध तरीके से विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
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KP System में व्यवसाय में सफलता का सूत्र
सामान्य सूत्र:
व्यवसाय में सफलता = 7वें भाव के उप-स्वामी + 2, 6, 10 और 11वें भाव से संबंध
मुख्य भाव:
- 7वां भाव: व्यवसाय, साझेदारी, और जनसंपर्क को दर्शाता है।
- 2रा भाव: वित्त, आय और संपत्ति को नियंत्रित करता है।
- 6ठा भाव: ऋण, प्रतियोगिता और संघर्ष से संबंधित है, जो व्यवसाय चलाने के लिए आवश्यक होता है।
- 10वां भाव: करियर, सामाजिक स्थिति और पेशेवर गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करता है।
- 11वां भाव: लाभ, इच्छाओं की पूर्ति और प्रगति को दर्शाता है।
KP System में व्यवसाय के लिए मुख्य सिद्धांत
1. 7वें भाव का उप-स्वामी:
- व्यवसाय की संभावना और प्रकृति को दर्शाता है।
- 2, 6, 10 या 11वें भाव से संबंध मजबूत हो तो सफलता सुनिश्चित होती है।
- यदि 8वें या 12वें भाव से संबंध हो तो नुकसान या अस्थिरता का संकेत मिलता है।
2. ग्रहों के संकेतक (Significators):
- जो ग्रह 7वें, 10वें, या 11वें भाव से जुड़े होते हैं, वे व्यवसाय की सफलता में योगदान देते हैं।
3. सफलता का समय निर्धारण:
- दशा (मुख्य काल), भुक्ति (उपकाल), और अंतर (उप-उपकाल) उन ग्रहों के होने चाहिए जो संबंधित भावों को प्रभावित करते हैं।
व्यवसाय में सफलता का विश्लेषण करने के चरण
चरण 1:
7वें भाव के उप-स्वामी का विश्लेषण करें।
- यदि यह 2, 6, 10 या 11वें भाव से जुड़ा हो, तो व्यवसाय में स्थिरता और विकास का संकेत देता है।
चरण 2:
10वें और 11वें भाव के उप-स्वामी की जांच करें।
- 10वें भाव का उप-स्वामी पेशेवर सफलता को दर्शाता है।
- 11वें भाव का उप-स्वामी लाभ और प्रगति को सुनिश्चित करता है।
चरण 3:
संबंधित ग्रहों के संकेतकों का मूल्यांकन करें।
चरण 4:
दशा-भुक्ति का विश्लेषण करें।
- वर्तमान दशा/भुक्ति उन ग्रहों की होनी चाहिए जो 7वें, 10वें, या 11वें भाव से जुड़े हों।
उदाहरण: व्यवसाय में सफलता का विश्लेषण
कुंडली विवरण:
- 7वें भाव का उप-स्वामी: बुध
- बुध 10वें और 11वें भाव का संकेतक है।
- वर्तमान दशा: शुक्र (2रे और 7वें भाव का संकेतक)।
विश्लेषण:
- 7वें भाव का उप-स्वामी बुध, 10वें और 11वें भाव से जुड़ा है, जो व्यवसाय में प्रबल सफलता का संकेत देता है।
- वर्तमान दशा का स्वामी शुक्र 2रे और 7वें भाव से जुड़ा है, जो वित्तीय वृद्धि और व्यवसाय की गतिविधियों का समर्थन करता है।
- 11वें भाव का संबंध लाभ और इच्छाओं की पूर्ति को सुनिश्चित करता है।
परिणाम:
व्यक्ति को शुक्र की दशा में व्यवसाय में बड़ी सफलता मिलेगी।
व्यवसाय में बाधाएँ: उदाहरण
कुंडली विवरण:
- 7वें भाव का उप-स्वामी: शनि
- शनि 8वें और 12वें भाव का संकेतक है।
विश्लेषण:
- 7वें भाव का उप-स्वामी शनि, अशुभ भाव (8वें और 12वें) से जुड़ा है, जो व्यवसाय में अस्थिरता का संकेत देता है।
- 11वें भाव का कमजोर उप-स्वामी लाभ की कमी का संकेत करता है।
परिणाम:
व्यक्ति को व्यवसाय स्थापित करने में वित्तीय नुकसान और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
विशिष्ट व्यावसायिक परिदृश्य
1. साझेदारी व्यवसाय:
सूत्र:
सफलता = 7वें भाव का उप-स्वामी + 2, 10, और 11वें भाव से संबंध
- यदि 7वें भाव का उप-स्वामी 6ठे भाव से जुड़ा हो, तो साझेदारी में विवाद हो सकते हैं।
- मजबूत 7वें भाव का संबंध स्थिर और लाभदायक साझेदारी को सुनिश्चित करता है।
2. स्व-रोजगार व्यवसाय:
सूत्र:
सफलता = 10वें भाव का उप-स्वामी + 6, 10, और 11वें भाव से संबंध
- 10वें भाव का उप-स्वामी स्व-रोजगार में सफलता को दर्शाता है।
- 6ठे भाव का संबंध प्रतियोगिता को संभालने की क्षमता को दर्शाता है।
व्यवसाय वृद्धि के लिए KP उपाय
1. शुभ ग्रहों को मजबूत करें:
- जैसे बुध के लिए पन्ना (Emerald) या गुरु के लिए पुखराज (Yellow Sapphire) पहनें (विशेषज्ञ की सलाह से)।
2. मंत्र जाप:
- बुध के लिए: “ॐ बुधाय नमः”
- शुक्र के लिए: “ॐ शुक्राय नमः”
3. वास्तु उपाय:
- व्यवसाय क्षेत्र को वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
4. दान:
- संबंधित भावों के संकेतकों को मजबूत करने के लिए दान करें। जैसे गुरु के लिए गरीबों को भोजन कराना।
निष्कर्ष:
कृष्णमूर्ति पद्धति व्यवसाय में सफलता का सटीक और व्यवस्थित विश्लेषण प्रदान करती है। 7वें भाव के उप-स्वामी, शुभ भावों के संबंध और ग्रहों की दशा पर ध्यान देकर व्यवसाय की सफलता, चुनौतियों, और सुधार के उपायों का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।